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कविता

ये शिला पर हार का इतिहास रचते हैं

अनिल पांडेय


तू रोता है
दिल हँसता है

दिल !
तू हँसता हैa
जीवन रोता है

तुम !
मिल कर समय को
नपुंसक बनाते हो

समय !
न छोड़ना इन्हें
ये शिला पर हार के
इतिहास लिखते हैं


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